मुझे इतना भी मत घुमा ऐ ज़िन्दगी,मैं शहर का शायर हूँ, MRF का टायर नहीं! ऐ खुद, हिचकियों में कुछ तो फर्क डाला होताअब कैसे पता करूँ कि कौनसी वाली याद कर रही है.. Share on Facebook (Opens in new window) Click to share on Twitter (Opens in new window) Click to share on Google+ (Opens in new window) Read more
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