- जिन रिश्तों की जड़ें सूख गई है, उन रिश्तों को जिंदगी से दूर कर देना हीं बुद्धिमानी है.
- बुराई के प्रति बुरी तरह से निर्मम होना हीं धर्म पथ है.
- जो लोग किसी के प्रति मोह में पड़कर, सही और गलत का फर्क समझना भूल गए हों. उन्हें बुद्धिमान से बुद्धिमान व्यक्ति भी सही रास्ते पर नहीं ला सकता है. मोहग्रस्त व्यक्ति को पतन के बाद हीं अपनी मूर्खता का एहसास होता है.
- जीतने के लिए समय-समय पर सोच-समझ कर खतरा उठाना जरुर होता है. जो लोग खतरा नहीं उठाते हैं, वो नहीं जीतते हैं.
- अपने लक्ष्य को वे हीं लोग साध पाते हैं, जो समय-समय पर अपनी गलती का खुद अवलोकन करते रहते हैं.
- कई बार उलझे हुए और जर्जर हो चुके रिश्तों का टूट जाना जरूरी होता है, ताकि नए रिश्ते बुने जा सकें और जिंदगी की उलझनें सुलझ सकें.
- जर्जर चीजों का स्वतः टूटना हीं प्रकृति का नियम है.
- उदार होने का मतलब यह नहीं होता है कि आप बुरे लोगों के प्रति भी उदार हो जाएँ. बुरे लोगों के प्रति उदारता तो मूर्खता है.
- बुरे व्यक्ति से प्यार करना, प्यार को गाली देना है. और जो व्यक्ति प्यार को गाली दे, वो व्यक्ति प्रेमी कैसे हो सकता है ?
- बुरे व्यक्ति के प्रति अपने जीवन को समर्पित कर देने से कहीं अच्छा है, विद्रोह कर देना. और अगर विद्रोह करने की शक्ति न हो, तो आत्महत्या कर लेना उत्तम विकल्प है.
- कुपुत्र को सख्त दंड देना हीं एक अच्छी माँ की पहचान है. क्योंकि अगर कुपुत्र को समय रहते दंड नहीं मिलता है, तो वह बाद में दूसरों के दुःख का कारण बनता है.
- अच्छे लोग हारते हैं, क्योंकि उनमें एकता नहीं होती है. जबकि बुरे लोग लालच के चुम्बक से एक दूसरे से चिपके हुए रहते हैं.
- आप अपनी व्यक्तिगत लड़ाई हार जाएँ तो कोई बात नहीं है, लेकिन जब आप सच के लिए लड़ रहें हों, तो आपको किसी भी कीमत पर जीतना हीं होगा. आपको अपनी क्षमता बढ़ानी होगी, नामुमकिन को मुमकिन बनाकर दिखाना होगा.
- रिश्तों में एक निश्चित दूरी Maintain करनी चाहिए, ताकि रिश्तों में कड़वाहट न घूले.
- अगर दिलों के बीच नजदीकी हो, तो जहाँ रिश्ता न हो, वहाँ भी रिश्ता खुद ब खुद बन जाता है, और जहाँ दिलों के बीच फासला हो वहाँ रिश्तों की नजदीकी भी अर्थहीन साबित होती है. जो लोग बुरे लोगों के प्रति निष्ठा रखते हैं, उन लोगों के प्रति निष्ठा रखना मूर्खता है. और लोग अक्सर ऐसी मूर्खता शान से करते हैं, और अपनी मूर्खता का बखान भी उतनी हीं शान से करते हैं.
- जहाँ अपनापन न मिले, वहाँ सामने वाले व्यक्ति से उम्मीद रखना मूर्खता है. वैसा व्यक्ति जिसके पास दौलत और शोहरत हो… वह व्यक्ति भले ही चरित्रहीन क्यों न हो, लोगों को उसमें कोई कमी नजर नहीं आती है. ऐसे लोग चाटुकार होते हैं.
Sunday, 31 January 2016
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